Thursday 30 July 2015

‘राष्ट्रीय उजाला’ एक्सक्लूसिव : मासूम भिखारियों की संख्या बढ़ी

विवेकानंद चौधरी
नई दिल्ली। दिल्ली के विभिन्न इलाकों में बाल भिखारियों की संख्या में इजाफा अमानवीय और संवेदनशील मामले के साथ चिंताजनक विषय है। यह देश की अस्मिता के लिए खतरा है, वह अलग। लेकिन सरकार और संबद्ध विभाग इस दिशा में मौन है। यदि ऐसा नहीं होता, तो यह समस्या आज भयावह रूप धारण नहीं करती। जब कभी मीडिया वाले इस मामले को तूल देते हैं, तो संबद्ध प्रशासन इस दिशा में सक्रिय जरूर होता है। लेकिन वास्तविकता यह है कि इनकी सक्रियता सिवाए खानापूर्ति के कुछ नहीं होेती। यह ऐक्शन के नाम पर सिर्फ कुछ बाल भिखारियों की धर-पकड़ कर लेते हैं।
समस्या की मूल वजह और इसका निदान क्या है, इस बारे में समझकर कारगर कदम उठाने की जहमत तक नहीं उठाते। ऐसे में कहें कि इनका लचर रवैया राजधानी में बाल भिखाड़ियों की संख्या में इजाफा की प्रमुख वजह है, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
पंद्रह से बीस हजार है संख्या अनुमान के अनुसार, इस समय दिल्ली में करीब पंद्रह से बीस हजार बाल भिखारी हैैं। यह दिल्ली के संपन्न इलाकों से लेकर स्लम बस्तियों तक आसानी से नजर आ जाएंगे। हैरत की बात है कि दिल्ली के अधिकांश मेट्रो स्टेशनों के मुख्य द्वार भी इनसे अछुते नहीं हैं।
पर्यटकों की संख्या में कमी की आशंका
ऐसे में यहां के गौरवमयी अतीत से प्रभावित होकर भारत भ्रमण पर आने वाले विदेशी सैलानियों पर इसका क्या असर पड़ेगा, अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। इसे निश्चित रूप से भारतीय अस्मिता, संस्कृति और पर्यटन उद्योग के लिए शुभ संकेत नहीं कह सकते। विदेशी सैलानी स्वदेश लौट कर जो भारतीय तस्वीर पेश करेंगे, उसके देश के सैलानियों पर वह अमिट छाप छोड़ेगा। ऐसे में भारत-भ्रमण पर आने वाले विदेशी सैलानियों की संख्या में कमी होगी, इनकार नहीं कर सकते। इसका सबसे प्रमुख असर पड़ेगा, विदेशी मुद्रा की कमी और देश में महंगाई।
जल्द सतर्क होने की जरूरत
सरकार को इस दिशा में समय रहते सतर्क होने की जरूरत है। कहीं ऐसा नहीं हो कि यह समस्या इस कदर बढ़ जाए कि सरकार के लिए इस पर अंकुश लगा पाना मुश्किल हो। बाल भिखारियों की धर-पकड़ इस समस्या का निदान कतई नहीं है। ऐसे बच्चों को विभिन्न सामाजिक संगठनों के सहयोग से चिह्नित कर इनकी बुनियादी जरूरतें हल कर इन्हें मुख्यधारा में लाने की कोशिश करनी चाहिए।
यह भी पता करना होगा कि इन बच्चों में भीख मांगने की प्रवृत्ति किन वजहों से है। वजहों का पता कर उसका निदान समस्या में कमी ला सकती है। लेकिन सरकार और संबद्ध प्रशासन का ध्यान इस ओर जाएगा, इसमें संदेह है।

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