Thursday 6 August 2015

राष्ट्रीय उजाला एक्सक्लूसिवः बढ़ सकती हैं पूर्व कानून मंत्री सोमनाथ की मुश्किलें

-दक्षिणी दिल्ली के खिड़की एक्सटेंशन में नस्लभेदी टिप्पणी और मारपीट का मामला गरमाया
-आईपीसी की धारा 153ए पर मुकदमा चलाने के लिए उपराज्यपाल से मिल चुकी है मंजूरी
-करीब दर्जन भर धाराओं के तहत जनवरी 2014 में दर्ज हुआ था मामला
-153ए को छोड़कर अन्य धाराओं में दर्ज मामलों में पुलिस साकेत कोर्ट में पहले ही आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है : एडिशनल डीसीपी
विभूति कुमार रस्तोगी
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के पूर्व कानून मंत्री सोमनाथ भारती की मुश्किलें आने वाले दिनों में बढ़ सकती हैं। यूं तो दक्षिणी दिल्ली के खिड़की एक्सटेंशन में बीते साल नस्लभेदी टिप्पणी और मारपीट करने के मामले में साकेत कोर्ट में पहले से आरोप पत्र दाखिल हो चुका है। लेकिन एक अन्य धारा 153ए के तहत आरोप पत्र दाखिल करने के लिए बीते एक साल से दिल्ली पुलिस को उपराज्यपाल की मंजूरी की जरूरत थी और वह भी बीते दिनों मिल गई। लिहाजा अब आने वाले दिन सोमनाथ भारती के लिए कई परेशानियां लेकर आ सकता है। जिस धारा 153ए के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति उपराज्यपाल ने दी है, उसमें अधिकतम सजा 5 साल की है लिहाजा अगर कोर्ट में पूर्व कानून मंत्री दोष पाए जाते हैं, तो इससे जनप्रतिनिधि कानून के तहत उनकी विधानसभा की सदस्यता भी जा सकती है।
दरअसल, पूरा मामला जनवरी 2014 का है। उस दौरान अरविंद केजरीवाल की दिल्ली में पहली बार सरकार बनी थी। उसी दौरान दिल्ली सरकार के तत्कालीन कानून मंत्री सोमनाथ भारती रात के अंधेरे में खिड़की एक्सटेंशन पहुंच गए और वहां रह रहे विदेशी (नाईजेरियन) युवक-युवतियों पर न केवल नस्लभेदी टिप्पणी की थी बल्कि सोमनाथ पर उनके साथ मारपीट करने का भी आरोप है। यहां तक कि दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ भी पूर्व कानून मंत्री की जबरदस्त झड़प हुई। उन्होंने पुलिस के काम में बाधा भी डाला था। यह मामला बेहद सुर्खियों में रहा था। आनन-फानन में दिल्ली पुलिस ने सोमनाथ भारती पर जनवरी 2014 में आईपीसी की करीब 18 धाराओं के तहत मुदकमा दर्ज किया। इसमें मारपीट, सरकारी काम में बाधा डालना सहित अन्य मामले के अलावा सबसे संगीन धारा 153ए जो दो समुदायों के बीच नस्लभेद की टिप्पणी कर विद्वेष पैदा करना, जो राष्ट्रहित न हो, जैसी धाराएं शामिल हैं। 2014 में 49 दिन में ही अरविंद केजरीवाल की सरकार चली। लिहाजा उसके बाद दक्षिणी दिल्ली पुलिस ने आईपीसी की धारा 153ए पर मुकदमा चलाने के लिए अनुमति आवेदन उपराज्यपाल नजीब जंग के पास भेज दी। साथ ही इस धारा को छोड़कर अन्य जो धाराएं लगी थीं, उस पर सोमनाथ के खिलाफ आरोप पत्र तैयार कर साकेत कोर्ट में दाखिल कर दिया। लेकिन आरोप पत्र दाखिल होने के बाद मुकदमा इसलिए शुरू नहीं हो सका था क्योंकि एक अन्य धारा 153ए पर आरोप पत्र पुलिस को दाखिल करना था। पुलिस के लिए अब यह भी रुकावट दूर हो गई है। उपराज्यपाल ने अपनी ओर से अनुमति दे दी है।
पुलिस का आरोप पत्र
दिल्ली पुलिस ने सोमनाथ भारती के खिलाफ साकेत कोर्ट में 18 धाराओं के तहत दायर आरोप पत्र में कुल 41 अभियोजन पक्ष के गवाह बनाए हैं। पुलिस ने आरोप पत्र में सोमनाथ पर दंगा भड़काने, नस्लभेदी टिप्पणी करने, सरकारी काम में बाधा डालने के तहत आरोप पत्र दाखिल किया जिसको 9 विदेशी भुक्तभोगी लोगों की ओर से दायर किया गया है। पुलिस ने वहां लगे सीसीटीवी कैमरों में दर्ज तस्वीरें भी कोर्ट में जमा की हुई है।
153ए पर अनुमति का इंतजार था: एडिशनल डीसीपी
दक्षिणी दिल्ली पुलिस के एडिशनल डीसीपी प्रमोद कुशवाहा ने सेक्शन 153ए को छोड़कर अन्य जितनी भी धाराएं सोमनाथ भारती पर लगी थी, उसके तहत आरोप पत्र साकेत कोर्ट में पहले ही दाखिल की जा चुकी है। अब चूंकि इस मामले में उपराज्यपाल ने मंजूरी दे दी है तो इस पर पुलिस आगे ऐक्शन लेगी।
जा सकती है सदस्यता : शर्मा
दिल्ली हाईकोर्ट के एडवोकेट दीपक शर्मा ने कहा कि 10 जुलाई 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधि कानून के तहत लीलू थोमस बनाम भारत सरकार मामले की सुनवाई करते हुए साफ तौर पर आदेश दिया था कि जिस किसी सांसद या विधायक को दो साल से अधिक की सजा होगी, उसकी सदस्यता जा सकती है। पूर्व कानून मंत्री सोमनाथ पर जो 153ए धारा लगी है वह बेहद संगीन है। कोई नस्लभेदी टिप्पणी करना, दो समुदायों के बीच लड़ाई या दंगा करवाना जैसे संगीन बातें इसमें शामिल हैं। इसमें 5 साल तक की सजा का प्रावधान है। अगर कोर्ट में सोमनाथ पर आरोप सही पाए जाते हैं, तो उन्हें अपनी विधानसभा की सदस्यता से हाथ धोना पड़ सकता है।

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